पिता का कारोबार नहीं चल पाया
सुभाष चंद्र एल बेंगलुरु के रहने वाले हैं। उनके पिता नारायण रेड्डी ने 1974 में अपने दो दोस्तों के साथ मिलकर 'संगीता' नाम की कंपनी की शुरुआत की थी। यह कंपनी म्यूजिक रिकॉर्ड बेचा करती थी। लेकिन, जब कारोबार अच्छा नहीं चला तो उनके सभी दोस्तों ने इसे छोड़ दिया। वे इस बिजनेस से बाहर निकल गए।
सुभाष ने छोड़ दी पढ़ाई
इसी दौरान सुभाष ने पढ़ाई छोड़ दी और अपने पिता के कारोबार में काम करना शुरू कर दिया। वह म्यूजिक रिकॉर्ड, होम अप्लायंस और सिम कार्ड बेचते थे।
1997 में मिली असली कामयाबी
हालांकि, सुभाष को असली सफलता 1997 में मिली। तब मोबाइल लोकप्रिय होने लगे थे। वह पूरे देश में पहले रिटेलर थे जो मोबाइल के लिए इंश्योरेंस प्रदान करते थे। अगर फोन टूटा नहीं है तो आपका इंश्योरेंस प्रीमियम वापस कर दिया जाता था। यह मॉडल कंपनी के लिए एक बड़ी सफलता बन गया।
₹3,000 करोड़ की बन चुकी है कंपनी
लोगों के इसी विश्वास के कारण संगीता मोबाइल्स आज 6 राज्यों के 800 स्टोर्स में 2,500 लोगों को रोजगार दे रही है। संगीता मोबाइल्स लगभग 3,000 करोड़ रुपये के कारोबार में तब्दील हो चुकी है। हालांकि, जब यह पहली बार शुरू हुई थी तब यह बेंगलुरु में जेसी रोड पर 600 वर्ग फुट का एक छोटा सा स्टोर था।
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